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विश्व हिंदू परिषद (विहिप) का बेतुका फतवा – १
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के आज कल बेतुके बयान आ रहे हैं की हर हिन्दू को चार या चार से ज्यादा बच्चे पैदा करने है | ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों का सम्मान किया जा रहा है | क्या कभी विहिप के रणनीतिज्ञओं ने ये सोचने की जहमत उठाई है की इसका हमारे देश पर, हमारी धरती पर, हमारे समाज पर या सबसे ज्यादा उन परिवार पर क्या असर पड़ेगा ?
सबसे पहले बात करते है पीने के पानी की – हमारा देश आबादी के हिसाब से दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है लेकिन साफ़ पानी के स्रोत के मामले में हम दुनिया में आठवें नंबर है वो भी तब जब साल हर साल मानसून अच्छा रहे | २१% बीमारी केवल पानी की वजह से होती है | आबादी बढेगी तो क्या साफ़ पानी का इंतज़ाम विहिप करेगी ?
आबादी बढेगी तो रहने के लिए घर भी चाहिये, घर बनाने के लिए जमीन चाहिये और जमीन तो सिर्फ जंगल काट कर ही आ सकती है | न रहेंगे जंगल और न रहेंगे पेड़ | तो फिर ऑक्सीजन कहाँ से आयेगी जिसके बिना आदमी ३ मिनट से ज्यादा नहीं जी सकता | क्या विहिप ऑक्सीजन पैदा करने की फैक्ट्री लगाएगी ?
इतनी बड़ी आबादी होगी तो प्रदुषण भी बढेगा – वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण आदि | क्या विहिप इन सब प्रदुषण को नियंत्रण में रखने का भी विचार साझा करेगी आम जनता के साथ ?
जब ना जंगल होंगे, ना जमीन होगी, ना पानी होगा, ना वायु होगी तो कैसे जमीन पर खेती कर सकेंगे | तब ग्रीन गैस, ग्लोबल वार्मिंग, प्रदुषण और बेमौसम मानसून खेती के लिए कोढ़ में खाज जैसा काम ही करेंगे | फैक्ट्री में काम करने के लिए लोग तो बहुत होंगे लेकिन फैक्ट्री खोलने के लिये जमीन ना होगी | किसान तो बहुत होंगे लेकिन खेती लायक जमीन ना होगी | सड़क पर ट्रैफिक तो बहुत होगा लेकिन सड़क बनाने के लिए जगह ना होगी | सबको स्कूल और इलाज देना तो बहुत दूर की बात हैं क्या सबको खाना, पानी और ऑक्सीजन दे पाएंगे | और साथ के साथ जो अपराध बढ़ेगा, गरीबी बढेगी, लिविंग स्टैण्डर्ड कम होगा, इलाज़ समय से नहीं मिलेगा और ऐसे ऐसे हालात आयेंगे की जो हम सोच भी नहीं सकते |
सबसे बड़ा सवाल तो हमारी पृथ्वी धरती से जुड़ा है | क्या पृथ्वी हमें इतनी बड़ी आबादी के लिए पर्याप्त मात्र में कोल, पानी, गैस, वायु, तेल, जमीन आदि दे सकती है | या फिर हमें पानी के बांधों, परमाणु बिजली स्टेशनों, पवन टर्बाइन, सौर पैनलों आदि को बनाना और इन पर निर्भर रहना होगा | और अगर हम इन सब निर्भर होते भी हैं तो इन सबकी वजह से होने वाले ग्रीन गैस विसर्जन और ग्लोबल वार्मिंग के लिए भी तैयार होना चाहिये | पृथ्वी भी फिर अपनी तरफ से हमें सजा देगी जो सुनामी, बाढ़, अकाल या भूकंप के रूप में हमारे सामने आयेंगे | क्या इन सबकी जिम्मेदारी विहिप लेने के लिए तैयार है ?
महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था की “ ऊर्जा को ना तो बनाया जा सकता है और ना ही नष्ट किया जा सकता है |” ऊर्जा के स्रोत भी सीमित हैं | तो विहिप जनता की ये भी बताने का कष्ट करे की इतनी बड़ी आबादी के लिए पानी से लेकर ऊर्जा तक, जमीन से लेकर जंगल तक, ट्रैफिक से लेकर अस्पताल तक, प्रदुषण से लेकर घर तक, क्या सारा इंतज़ाम विहिप करेगी? यदि हाँ तो विहिप इन सबका ब्लूप्रिंट भी जनता को बताये |
(भवदीय – प्रशांत सिंह)
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